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  • NAAC Accredited With A+ Grade(CGPA 3.42), UGC Category-II University
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श्रीसोमनाथ-संस्कृत-युनिवर्सिटी

(राष्ट्रिय-मूल्याङ्कन-प्रत्यायन-परिषदा ‘ए+’ श्रेण्या प्रत्यायितः)

राजेन्द्रभुवनमार्गः, वेरावलम्-३६२२६६ (गुजरातम्)

श्रीसोमनाथ-संस्कृत-विश्वविद्यालयस्य IQAC, अनुस्नातकविभागः तथा च विश्वविद्यालय-सञ्चालित-संस्कृतमहाविद्यालयः इत्येतेषां संयुक्ततत्त्वावधाने आयोजिता

राष्ट्रिय-दर्शन-वेबिनार्-सङ्गोष्ठी

 साम्प्रतिकयुगे दर्शनानाम् उपादेयता.

 (Relevance of Philosophy in contemporary world).

 दिनांक – 25.02.2022.

प्रधानपरामर्शकः

डॉ. ललितकुमार पटेलः

कुलपतिः (का.), श्रीसोमनाथ-संस्कृत-विश्वविद्यालयः, वेरावलम्

 

आयोजकः

आमन्त्रकः

डॉ. नरेन्द्रकुमार पंड्या

प्राचार्यः, विश्वविद्यालय-सञ्चालितः

संस्कृतमहाविद्यालयः, वेरावलम्

डॉ. दशरथ जादवः

कुलसचिवः,

श्रीसोमनाथ-संस्कृत-विश्वविद्यालयः, वेरावलम्

संयोजकौ

डॉ. बी. उमा महेश्वरी

सहायिकाचार्या, दर्शन-विभागः

डॉ. जानकीशरण आचार्यः

सहायकाचार्यः, दर्शनविभागः

श्रीसोमनाथ-संस्कृत-युनिवर्सिटी

राजेन्द्र भुवन मार्ग, वेरावल-३६२२६६(गुजरात)

Website: www.sssu.ac.in      Webinar Email : This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

पंजीकरण हेतु यहां क्‍लिक करें - https://forms.gle/SQ5y2vSFw3r5YWYN6

 

 

दर्शन-विषयक राष्ट्रिय वेबिनार -

साम्प्रतिकयुगे दर्शनानाम् उपादेयता.

माननीय महोदय/महोदया,

नमस्कार! सुरम्य सौराष्ट्र प्रदेश में स्थित श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत शास्त्रों एवं भाषा के पठन-पाठन हेतु सन् २००६ से निरन्तर कार्यरत है। जिसके फलस्वरूप राष्ट्रिय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC) द्वारा इस विश्वविद्यालय को ‘A+’ श्रेणी में सम्मिलित किया है। शास्त्रों में उत्कृष्ट संशोधन को प्रोत्साहित करने हेतु विश्वविद्यालय समय-समय पर भारत के मूर्धन्य विद्वानों को आमन्त्रित कर परिसंवादों एवं संगोष्ठिओं का आयोजन करता रहता है। विश्वविद्यालय IQAC, अनुस्नातक विभाग एवं विश्वविद्यालय संचालित संस्कृत महाविद्यालय, के संयुक्त उपक्रम से दिनांक २५.०२.२०२२ को “साम्प्रतिकयुगे दर्शनानाम् उपादेयता” विषय पर एक राष्ट्रिय वेबिनार आयोजित किया जा रहा है।

राष्ट्रिय वेबिनार की पृष्ठभूमि -

भारत की आर्ष मनीषा ने कला, स्थापत्य, साहित्य, धर्म, नीति, व्याकरण, विज्ञान, दर्शन आदि अनेक क्षेत्रों में समग्र विश्व को अमूल्य निधि प्रदान की है। किन्तु इन सभी में सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण उपलब्धि है दर्शन। यह समस्त व्यावहारिक और सैद्धान्तिक गतिविधियों का चरम लक्ष्य माना जाता है तथा वैविध्यपूर्ण इस विशाल भू-भाग में सांस्कृतिक एवं वैचारिक एकता को स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण अंग है। भारतीय दर्शन अपरोक्षानुभूति को प्रधान एवं बौद्धिक चिन्तन को गौण मानता है। आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैवक, इन तीन प्रकार के दुःखों का आत्यन्तिक नाश एवं अखण्ड आनन्द की प्राप्ति ही भारतीय दर्शन का चरम लक्ष्य है। श्रवण, मनन और निदिध्यासन इस लक्ष्य-प्राप्ति के त्रिविध साधन है।

दर्शन और धर्म का भी घनिष्ठ सम्बन्ध है। सुचिन्तित दार्शनिक विचारों को आचार में उतारे बिना दर्शन केवल वाग्विलास या बुद्धि-वैभव ही है और दार्शनिक विचारों द्वारा परिपुष्ट हुये बिना धर्म भी अन्धविश्वास की ओर ले जाता है। अतः “आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यः” (बृहदारण्यक० २.४.५) यह भारतीय दर्शन और धर्म का मूल मन्त्र है। दर्शन शास्त्र में निहित शुचिता, नीति, धर्म, श्रद्धा, भक्ति, सत्य, अपरिग्रह, आस्तिक्य, विचारशीलता, तर्कपूण चिन्तन, युक्तियुक्त विचारपूर्वक उपादेयता इत्यादि अनेक तत्त्वों के आचरण से मानव का जीवन परिपूर्ण बनता है और वह परम पुरुषार्थ मोक्ष को प्राप्त करने में समर्थ होता है। कोरोना जैसी महामारी के कारण त्रिविध ताप की शान्ति के लिये दर्शन शास्त्र की उपादेयता और भी बढ गई है। साम्प्रतिक युग में दर्शनशास्त्र में प्रतिपादित विभिन्न सिद्धान्तों एवं तत्त्वों की साम्प्रतिक युग में उपादेयता के विषय में शोधपूर्ण विमर्श इस संगोष्ठी में प्रस्तावित है। दिङ्निर्देशार्थ इसमें प्रस्तोतव्य विषय निम्नलिखित हो सकते हैं –

  • दर्शन शास्त्र की मानव जीवन में आवश्यकता
  • दर्शन शास्त्र में प्रतिपादित सिद्धान्तों की जीवन में उपादेयता
  • दर्शनशास्त्र की वर्तमान शिक्षा में उपयोगिता
  • दर्शन शास्त्र में प्रतिपादित प्रमाणों की आधुनिक काल में उपयोगिता
  • दर्शन शास्त्र में प्रतिपादित जीवन मूल्य एवं नीति तत्त्व
  • दर्शन शास्त्र में पर्यावरण चिन्तन
  • जीवन के विभिन्न आयामों में दर्शन शास्त्र की उपादेयता
  • योग दर्शन में प्रतिपादित सिद्धान्तों का साम्प्रतिक काल में उपयोगिता
  • विभिन्न दार्शनिक सिद्धान्तों का वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ परिशीलन
  • व्यक्तित्व विकास में दर्शन शास्त्र की भूमिका
  • नूतन दार्शनिक अवधारणाओं की उपादेयता

मुख्य विषय से सम्बद्ध अन्य विषयों में भी पत्र प्रस्तुति की जा सकती है।

 संगोष्ठी के विषय में आवश्यक सूचनाएँ –

  • इस वेबिनार में प्रतिभागी के रूप में शोध छात्र एवं प्राध्यापक भाग ग्रहण कर सकते हैं।
  • इस वेबिनार में अपना शोध पत्र प्रस्तुत करने के इच्छुक विद्वानों से निवेदन है, कि वे १५.०२.२०२२ तक निम्नलिखित गूगल लिंक पर अपना सामान्य विवरण देकर अपना पंजीकरण करेः –

https://forms.gle/SQ5y2vSFw3r5YWYN6

  • पंजीकरण पत्र में अपने शोध पत्र का विषय तथा अतिसंक्षिप्त सार (१०० शब्दों में) भी प्रस्तुत करना होगा।
  • इस वेबिनार में पंजीकरण निःशुल्क है।
  • गूगल लिंक पर पंजीकरण मात्र करने से वेबिनार में पंजीकरण सुनिश्चित नहीं होगा। आप के शोध का विषय एवं शोधसार की प्रस्तुति के आधार पर वेबिनार के संयोजक आप को अपने पंजीकरण की सुनिश्चिति का ई-मेल भेजेंगे। इस ईमेल को पाने से ही आप का पंजीकरण सुनिश्चित होगा।
  • वेबिनार ‘वेबेक्स’ (Cisco Webex) एप्‍लिकेशन द्वारा चलेगा। आपके ई-मेल में वेबिनार में जुडने हेतु लिंक भी भेजा जाएगा।
  • इस वेबिनार में प्रस्तुत होने वाले शोध पत्र E-ISBN से युक्त ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित किए जाएँगे।
  • शोध पत्र प्रस्तोताओं को ई-मेल द्वारा ई-प्रमाण पत्र भी भेजा जएगा।
  • शोध पत्र की प्रस्तुति संस्कृत/अंग्रेजी/हिन्दी में की जा सकती है।
  • प्रतिभागियों को वेबिनार से पूर्व दिनांक २२.०२.२०२२ तक अपना सम्पूर्ण शोध पत्र This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.  पर युनिकोड में टाईप कर के भेजना अनिवार्य है।
  • देवनागरी में लिखे हुए शोध पत्रों को एरियल युनिकोड (फोंट साईज १२) में तथा अंग्रेजी में लिखे हुए पत्रों को टाईम्स न्यू रोमन (फोंट साईज १२) में टाईप करना होगा।
  • इस वेबिनार संबंधित से अधिक जानकारी के लिए संयोजकों का सम्पर्क यहाँ किया जा सकता है –

डॉ. बी. उमा महेश्वरी – ६३५४८७८९७२,       डॉ. जानकीशरण आचार्य – ८७५८८१७५२५

श्रीसोमनाथ-संस्कृत-युनिवर्सिटी

राजेन्द्र भुवन मार्ग, वेरावल-३६२२६६ (गुजरात)

Website: www.sssu.ac.in  Email : This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

 

Download : राष्ट्रिय-दर्शन-वेबिनार्-सङ्गोष्ठी-2022

 

 

 

 

 

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